- गाडरवाड़ा सुपर थर्मल पावर स्टेशन को किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (KBL) की शक्ति
- सिंगा का 'फक्कर' फिल्म के लिए नया और दमदार लुक महाकुंभ यात्रा के दौरान फैंस को दंग कर दिया
- Singga’s Bold New Avatar for ‘Fakkar’ Leaves Fans in Awe During Mahakumbh Pilgrimage
- पुष्पा के को-डायरेक्टर पवन हुए कशिका कपूर की परफॉर्मेंस से प्रभावित, कहा – "वो कैमरे के सामने कमाल करती हैं, LYF के बाद बहुत बिजी हो जाएंगी"
- Pushpa Co-Director Pavan Impressed by Kashika Kapoor’s Performance in His Next Directorial ‘LYF’, Says She is an Amazing Performer and Does Wonders in Front of the Camera and she will get very busy after LYF release
जानिए क्यों 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
डॉ श्रद्धा सोनी
वैदिक ज्योतिषाचार्य
ये पावन पर्व बहुत ही खास है…. साल में कुछ समय विशेष ऐसे आते है… जब कुछ कर्म विशेष करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है… इस बार की सक्रांति भी कई मायनों में सिद्ध समय है …. सूर्य मकर सक्रांति के दौरान मकर राशि में प्रवेश करता है असल में यह इतना खास क्यों है जो हम मकर सक्रांति मनाते हैं . सबसे पहले सूर्य एक राशि में एक महीना रहता है और 12 राशियों में 12 महीने और 12 महीने बाद वापस सूर्य उसी राशि में उसी तारीख को लगभग प्रवेश करता है. इसी वजह से हर वर्ष 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी को मकर सक्रांति मनाई जाती है .
सूर्य को राजा कहा गया है और वह जिस राशि में भी प्रवेश करता है उस राशि में एक क्रांति आती है एक चमक एक बदलाव एक जागृत एक बड़ा अच्छा उर्जा आती है इसी वजह से सूर्य के किसी भी राशि में प्रवेश को महत्व दिया गया है अब इस महत्व के अंदर से पहले बताना चाहेंगे कि सूर्य जब मकर राशि में आता है तो उस समय उत्तरायण हो जाता है इसलिए मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पढ़ना शुरू हो जाती है और पृथ्वी पर गर्मी का प्रभाव उसका जगह पर पढ़ना शुरू हो जाता है इसी वजह से सूर्य के मकर राशि में आने के बाद मकर सक्रांति के बाद उत्तरायण होने के बाद अगले 6 महीने सूर्य उत्तरायण कहता है जिसमें ज्यादा शुभ उर्जा पृथ्वी पर आती है इस वजह से उत्तरायण को देवताओं का समय कहा गया है और दक्षिणायन जो कि मकर सक्रांति के 6 महीने बाद सूर्य प्रवेश करता है उस समय को दक्षिणायन कहते हैं जब थोड़ी सर्दी शुरू होती है यहां पर आपको मकर सक्रांति के बारे में और बहुत सारी जानकारी मिलेगी
2019 में मकर सक्रांति का त्योहार 14 जनवरी की बजाय 15 जनवरी को मनाई जाएगी. जब भी सूर्य ग्रहण धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष 14 जनवरी की रात्रि को सूर्य अस्त के बाद सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करेंगे। और सूर्य अस्त के बाद जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर सक्रांति का त्योहार अगले दिन सूर्य उदय के बाद ही मनाया जाना उचित रहता है।
15 जनवरी को उदय तिथि पड़ने के कारण मकर संक्रांति इसी दिन ही मनाई जानी चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातःकाल से सूर्यास्त तक रहेगी। पूरे दिन पर्व का शुभ मुहूर्त है।
क्या करें इस विशेष दिन पर
इस दिन प्रातः उठकर स्नान करके भगवान भास्कर को प्रणाम कीजिये। इस दिन गुरु गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। हर घरों में खिचड़ी बनाई जाती है तथा लोग खिचड़ी ही खाते हैं। तिल के लड्डू का प्रयोग भी होता है। इस दिन मौन व्रत करना भी बहुत विशेष रहता है।
इस महापर्व पर दान का बहुत महत्व है। गरीब व्यक्तियों को खिचड़ी, कम्बल, ऊनी वस्त्र व अन्य गर्म कपड़े, भोजन, सुहाग सामग्री, व बहुत सी अन्य वस्तुओं का दान भी आज के दिन करना उत्तम रहेगा।